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Home शिक्षा

विशेषण, विशेषण के भेद और विशेषणों की तुलना

by SP Desk
July 28, 2022
in शिक्षा
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संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताने वाले पद को विशेषण कहते हैं! विशेषण पद जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है, उसे ‘विशेष्य’ कहते हैं! विशेषण विशेष्य से पहले भी आ सकता है और बाद में भी! विशेष्य से पूर्व आने वाले विशेषण उद्देश्य विशेषण कहलाते हैं! तथा विशेष्य के बाद में आने वाले विशेषण विधेय विशेषण कहलाते हैं! जैसे – चतुर बालक काम कर लेते हैं (उद्देश्य विशेषण), यह बालक चतुर है (विधेय विशेषण)!

 

प्रविशेषण – जो शब्द विशेषण शब्दों की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें प्रविशेषण कहते हैं! सामान्यतः प्रचलित प्रविशेषण हैं – बहुत, सबसे, अधिक, अत्यधिक, अत्यंत, बड़ा, खूब, बिलकुल, थोड़ा, कम, ठीक, पूर्ण, लगभग आदि!

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विशेषण के भेद (Kinds of Adjectives) – विशेषण चार प्रकार के होते हैं!

  1. गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjective)
  2. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)
  3. परिणामवाचक विशेषण (Quantitative Adjective)
  4. सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjective)

 

१. गुणवाचक विशेषण – ऐसे विशेषण शब्द जिनके द्वारा संज्ञा और सर्वनाम शब्दों के गुण, दोष, रंग, रूप, आकार और स्थान आदि का बोध होता है, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं! जैसे – वह अच्छा लड़का है! गुणवाचक विशेषणों द्वारा संज्ञा और सर्वनाम शब्दों के दशा, दिशा, काल, स्वाद, रंग, स्थान, गुण, दोष, अवस्था, आकार, स्पर्श, गंध जैसे विशेषताओं का बोध होता है!

 

२. संख्यावाचक विशेषण – ऐसे विशेषण शब्द जिनसे संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की संख्या की विशेषता का बोध होता है, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं! जैसे – रमेश दसवीं कक्षा में पढ़ता है! संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते हैं –

(i) निश्चित संख्यावाचक विशेषण – जो विशेषण, संज्ञा सर्वनाम शब्दों की संख्या संबंधी निश्चित विशेषता का बोध कराती है, उन्हें निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते है! – कोहली ने सौ रन बनाए! इससे संज्ञा सर्वनाम की गणना, क्रम, आवृति, समूह, समुच्चय, प्रत्येक आदि विशेषताओं का बोध होता है!

(ii) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण – जो विशेषण संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की संख्या संबंधी विशेषता का निश्चित बोध नहीं कराते, उन्हें अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं! जैसे – कोई, कुछ, अनेक, लाखों आदि!

 

३. परिमाणवाचक विशेषण – ऐसे विशेषण शब्द जिनसे संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की नाप तौल संबंधी विशेषता का बोध होता है, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं! जैसे – मोहन ने तीन किलो चीकू ख़रीदे! परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते हैं –

(i) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण – जो विशेषण संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की परिमाण संबंधी निश्चित विशेषता का बोध कराते हैं उन्हें निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं! जैसे – एक किलो दूध, तीन मीटर कपड़ा!

(ii) अनिश्चित परिणामवाचक विशेषण – जो विशेषण संज्ञा और सर्वनाम शब्दों की परिभाषा संबंधी विशेषता का निश्चित बोध नहीं कराते उन्हें अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं; जैसे – थोड़ी सी चीनी, ज्यादा नमक आदि!

 

४. सार्वनामिक विशेषण – ऐसे सर्वनाम जो संज्ञा शब्दों के पहले आकर विशेषण का कार्य करते हैं, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं! जैसे – मेरी अध्यापिका, यह दुकान, कौन आदमी आदि!

सार्वनामिक विशेषण के ये रूप हो सकते हैं – (i) निश्चयवाचक/ संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण – उस किताब, यह कलम आदि! (ii) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण – कोई सज्जन, कुछ चीज आदि! (iii) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण – कौन आदमी, कौन सी किताब आदि! (iv) संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण – जो-वो, वह-जिसने आदि!

 

निश्चयवाचक सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर –

इन दोनों में शुक्षम अंतर है! निश्चयवाचक सर्वनाम किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, घटना आदि की निश्चितता का बोध कराता है, जबकि सार्वनामिक विशेषण से व्यक्ति, वस्तु, प्राणी आदि की विशेषता प्रकट होती है!

 

विशेषण की रूप रचना –

विशेषण की रूप रचना संज्ञा की रूप रचना से प्रयाप्त मिलती है! दोनों में रूपावली वर्ग निर्धारण लिंग और शब्द के ध्वन्यात्मक स्वरुप पर होता है, तथा रूपावली वचन तथा विभक्ति के अनुसार चलता है! जैसे – अच्छा – अच्छी – अच्छे आदि!

 

विशेषणों की तुलना (Degree of Comparison) –

तुलना करने की दृष्टि से विशेषणों की तीन अवस्थाएँ होती हैं –

(i) मुलावस्था (Positive Degree) – मुलावस्था में विशेषणों का सामान्य प्रयोग होता है! इस स्थिति में विशेषण तुलना नहीं करते; जैसे – रश्मि ने सुन्दर चित्र बनाए!

(ii) उत्तरावस्था (Comparative Degree) – उत्तरावस्था में दो वस्तुओं, प्राणियों आदि के गुण दोषों की तुलना की जाती है! इसमें एक संज्ञा शब्द को दुसरे संज्ञा शब्द से श्रेष्ठ ये हिन दिखाया जाता है! इसके लिए से, से कम, से अधिक, की अपेक्षा, से कहीं और से बढ़कर आदि शब्द प्रयोग में लाए जाते हैं! जैसे – सिमरन बहन से डरपोक है!

(iii) उत्तमावस्था (Superlative Degree) – उत्तमावस्था में अनेक वस्तुओं और प्राणियों आदि में तुलना की जाती है! इसमें किसी एक को सबने श्रेष्ठ या सबसे कम दर्शाया जाता है! उत्तमावस्था में सर्वश्रेष्ठ, सबमें, सबसे बढ़कर, सर्वाधिक, सभी से आदि शब्द प्रयुक्त होते हैं! जैसे – इनमें रमेश सर्वश्रेष्ठ कवि हैं!

तुलनात्मक अवस्थाओं के रूप – संस्कृत और हिंदी के साथ ‘तर’ और ‘तम’ प्रत्यय लगाकर तुलनात्मक विशेषण शब्द बनाए जाते हैं; जैसे – मधुर – मधुरतर – मधुरतम, न्यून – न्यूनतर – न्यूनतम आदि!

 

विशेषण शब्दों की रचना – मूल विशेषण शब्द बहुत कम हैं! विशेषणों की रचना अन्य शब्दों से हुई है! संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया और अव्यय शब्दों के साथ उपसर्ग और प्रत्यय लगाकर विशेषण शब्द बनाए जाते हैं! जैसे – पुलक – पुलकित, पल्लव – पल्लवित, कल्पना – काल्पनिक, चिंता – चिंतित, सुगंध – सुगंधित, आत्मा – आत्मिक आदि! विशेषण शब्द लिंग,  वचन  और  कारक की दृष्टि से बदल जाते हैं! जैसे – काला – काली – काले आदि!

और पढ़ें (Next Topics) : क्रिया, धातु, पहचान, क्रिया के भेद और कृदंत क्रिया

 

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Tags: AdjectiveHindi AdjectiveHindi VyakaranKinds of VisheshanVisheshanविशेषणहिंदी व्याकरण
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