दीपिका पादुकोण की छपाक पर आरोप है कि असली घटना से प्रेरित इस फिल्म में आरोपी का नाम नदीम से बदल कर राजेश कर दिया गया है, जिसके बाद घबराए मेकर्स ने रातों-रात इसे ठीक किया। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर ये भी आरोप लग रहा है की ये सब सिर्फ दुबई फंडिंग से चलने वाले इस्लामिक प्रभुत्व वाले बॉलीवुड के बौद्धिक जिहाद का ही एक हिस्सा है, जिसमें मुसलमानों को अल्लाह का नेक दिल बंदा और हिन्दुओं को गलत दिखाने की पुरानी सोची समझी रणनीति रही है।
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोटेस्ट में शामिल होने के बाद Deepika Padukone विवादों में आ गई है। इस बीच उनकी फिल्म छपाक को लेकर भी एक नया विवाद सामने आ गया है, जिसमें बताया गया कि असली घटना पर आधारित इस फिल्म में आरोपी का नाम और धर्म दोनों बदल दिया गया है। आरोपी नदीम का नाम इस फिल्म में राजेश कर दिया गया है। ये बात सामने आते ही दीपिका पादुकोण और मेकर्स को सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ मिली, ट्विटर पर राजेश और नदीम नाम ट्रेंड करने लगा, जिसके बाद अब खबरें आ रही हैं कि ये गलती सुधार ली गई है।
दरअसल, जब से Chhapaak में आरोपी का नाम और धर्म बदलने की बात सामने आई, तब से सोशल मीडिया पर इसका जबरदस्त विरोध होने लगा। एक तो JNU में जाने की वजह से पहले से ही दीपिका नेटीजेंस के निशाने पर थी, ऊपर से ये एक नया और सेंसिटिव विवाद, लोगों को भड़काने के लिए काफी था। लोग सोशल मीडिया में तरह तरह के सवाल और बायकाट की बातें करने लगे। इस बात की पुष्टि मेकर्स तो नहीं की, लेकिन इसको बल मिला विकिपीडिया पर असली आरोपी नादिम के नाम को बदलकर राजेश करने के कुत्सित प्रयास से –
Laxmi Agarwal was ACID attacked in 2005 at ‘Khan Market, Delhi’ by “Naeem Khan”
Pseudo-secular’s tried to change WiKi Page of Laxmi as upcoming movie is based on her Biography
2013 High Court judgment clearly reflects the name of the attacker.
SHAMELESS Hindu will still watch pic.twitter.com/OD741boavQ
— #GauravPradhan ?? (@DrGPradhan) January 8, 2020
कोई कहने लगा की इस्लामिक प्रभुत्व वाले बॉलीवुड की ये पुरानी चाल रही है, तो किसी ने आशंका जताई की अपने दुबई वाले भाईजान को खुश करने के लिए ऐसा किया गया है। किसी का विचार था की ये बौद्धिक जिहाद का एक हिस्सा है। जो भी हो, अगर सच में नाम और धर्म में बदलाव किया गया था तो ये सवाल उठना लाजिमी है की रियल लाइफ पर बन रहे फिल्म आरोपी के नाम और धर्म बदलने के पीछे क्या सोच या क्या मज़बूरी रही होगी दीपिका की?
वहीँ इस बढ़ते विवाद के बीच राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्विटर पर लिखा ‘ईशकरण दीपिका पादुकोण और प्रोड्यूसर्स के लिए एक लीगल नोटिस तैयार कर रहे हैं, अगर उन्होंने वाकई आरोपी नाम बदल कर हिंदू किया है जो असल जिंदगी में मुस्लिम है, ये मानहानि है’ –
Ishkaran is drafting a legal notice to Deepika Padukone & producers, if they have changed name of accused from Muslim in real life to a Hindu name.
That is defamation.
For details follow @ishkarnBHANDARI
— Subramanian Swamy (@Swamy39) January 8, 2020
जिसके बाद ईशकरण ने ट्वीट करके नाम बदलने के आरोप को सही बताया था कि और कहा था कि वो अगले ही दिन फिल्म के मेकर्स को नोटिस भेजने को तैयार हैं। वहीं, आज वकील ईशकरण ने ट्वीट करके बताया है कि ‘मैंने सुना है कि Deepika Padukone की फिल्म में आरोपी का नाम फौरन डब कर दिया गया है। कुछ लिबरल लोगों का दावा है कि उन्होंने फिल्म देख ली है और इसमें आरोपी का नाम वही है जो रियल लाइफ में था। जो भी हो, अच्छा है कि उन्हें सबक मिल गया, अब और बेइज्जती नहीं, हम एकता में हमेशा जीतते हैं’ –
Heard- Urgent dubbing of name of accused took place in Deepika Padukone movie.
And Libtards pretended on instructions that had seen movie & it was always a name of same religion as in real life.
Anyways good they learnt lesson.
No more insult to Hindus.
We United always Win.
— Ishkaran Singh Bhandari (@ishkarnBHANDARI) January 9, 2020
जहां एक तरफ सोशल मीडिया पर नाम बदलने से लेकर गलती सुधारने तक की खबरें आ गईं। वहीं दूसरी तरफ ना तो दीपिका पादुकोण का इस पर कोई बयान आया और ना ही मेकर्स ने कोई स्टेटमेंट जारी किया। न इस बात का खंडन किया गया है की फिल्म में गलत नाम का इस्तेमाल किया गया था और न इस बात की सफाई दी गई है की नाम और धर्म को ठीक कर दिया गया है। इससे इस बात की पुष्टि नही होती की फिल्म में गलत नाम इस्तेमाल किया गया था, साथ ही इसकी भी पुष्टि भी नहीं होती की जो गलत नाम और धर्म को लेकर खबर फ़ैल रही है वो गलत है। मतलब मेकर्स इस विवाद में फिल्म के मुफ्त प्रमोशन का आनंद ले रहे हैं।
सच्चाई ये भी है की जब भी किसी बॉलीवुड स्टार की फिल्म रिलीज़ होने वाली होती है तो या तो फिल्म से जुड़े किसी विवाद को जन्म देते हैं या फिर खुद ही किसी विवाद का हिस्सा बन जाते हैं। इससे जो लोग फिल्म के बारे में न भी जानते हों, या फिल्म के लेकर उत्सुक न भी हों, उनके मन भी फिल्म को लेकर उत्सुकता बढ़ जाती है। साथ ही लोगों के विरोध की वजह से मुफ्त की पब्लिसिटी भी मिल जाती है, ये पुराना और टेस्टेड पब्लिसिटी स्टंट है बॉलीवुड का।
JNU में पहले भी विवाद होते रहे हैं, तब दीपिका को इससे कोई मतलब नहीं था, लेकिन जब फिल्म रिलीज़ के समय ही जाना क्या इस बात की ओर इशारा नहीं करता की वो जानबूझकर इस विवाद का हिस्सा बनना चाहती थी, ताकि लोगों के बिच वो चर्चा का विषय बन सकें और फिल्म का मुफ्त प्रमोशन हो सके? जब दो पक्षों के बिच विवाद में दीपिका खुलकर एक पक्ष के समर्थन में और दुसरे पक्ष के विरोध में खड़ी हो गई, तो ये कहना की दूसरा पक्ष विरोध में न खड़ा हो, कितना जायज है? दुसरे पक्ष को भी अपनी आजादी है, की फिल्म देखें या न देखें, किसके पक्ष में खड़े हों या विरोध में। फिर विक्टिम और सिमपैथी कार्ड क्यों खेलना की फिल्म एक एसिड अटैक विक्टिम पर है, इसलिए विरोध करना ठीक नहीं, दीपिका आजाद है किसी के पक्ष में खड़ा होने के लिए, विरोध करने वाले अंधे है, वगैरह वगैरह। क्या किसी को जबरदस्ती फिल्म दिखाने के प्रयास को ही आजादी कहते हैं?
एक बात है जो फिल्म मेकर्स को समझना पड़ेगा की अगर आप अच्छी फ़िल्में बनाते हो, तो आपको सस्ती पब्लिसिटी स्टंट की जरुरत नहीं। अब वो दिन लद गए जब आप एक धर्म की भावनाएं भड़काने वाली फ़िल्में बनाकर एक तीर से दो शिकार कर लेते थे, अपने बौद्धिक जिहाद के मकसद भी पूरा करते थे और फिल्म को चर्चा का विषय बनाकर सफलता भी पाते थे। अब सोशल मीडिया का दौर है, लोग सब जानते और समझते हैं, इसके विरोध का पुराना तरीका भी नहीं आजमते, बल्कि नए नए तरीकों से बैंड बजा देते हैं। और खास बात ये की फिल्म का प्रमोशन इस कीमत पर तो बिल्कुत बर्दाश्त नहीं होगा की आपको पाकिस्तान की सेना की तरफ से प्रशंसा मिले।
अब देखना ये है की तमाम स्टंट के बावजूद फिल्म कितनी सफल होती है। क्योंकि यहाँ तो दीपिका ने दोनों तरीकों को आजमा लिया है, फिल्म को भी विविदों का हिस्सा बनाया और खुद भी विवादों का हिस्सा बन गई। आप सोच रहे हैं की ऐसा क्यों कह रहा हूँ की जान बुझकर विवादों को जन्म देते हैं मेकर्स, तो समझिए की अगर ऐसा नहीं होता तो क्या दीपिका या मेकर्स एक बयान देकर इस बात का खंडन नहीं कर देते की फिल्म में आरोपी का नाम या धर्म नहीं बदला गया है या फिर जो गलती थी उसे ठीक कर लिया गया है, बजाय इसके की विवादों की जमीन पर प्रमोशन की खेती करने के?