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Home न्यूज़

देश को प्रभावित करने वाला है सुप्रीम कोर्ट के आने वाले ये बड़े फैसले

by SP Staff
July 28, 2022
in न्यूज़
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भारतीय सुप्रीम कोर्ट अगले कुछ दिनों में कुछ ऐसे अहम फैसले सुनाएगा जिससे देश के मौजूदा हालात में काफी कुछ बदल सकता है। सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। लेकिन इससे पहले जस्टिस गोगोई को कई ऐसे फैसले सुनाने हैं जिससे भारत में बहुत कुछ बदल जाएगा या इन फैसलों का असर काफी ‘प्रभावकारी’ हो सकता है। जब आने वाले सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसलों की बात करते हैं तो उनमें से ये चारमामले प्रमुख हैं –

 

१. अयोध्या का मामला –

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अयोध्या मामले की सुनवाई खत्म हो चुकी है और CJI Ranjan Gogoi ने काफी पहले ही कहा था कि अगर इस पर सुनवाई तय समय में पूरी हो जाती है तो वह नवंबर में  इस पर फैसला सुना सकते हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि 17 नवंबर से पहले इस बड़े मामले में फैसला आ जाएगा।  सुप्रीम कोर्ट जब इस पर फैसला सुनाएगा तो ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि पांच जजों वाली संवैधानिक बेंच इस मामले पर 17 नवंबर तक फैसला सुना सकती है। बेंच की अगुवाई सीजेआई रंजन गोगोई कर रहे हैं। उनके अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

 

अयोध्या बाबरी मस्जिद – रामजन्मभूमि विवाद 100 सालों से ज्यादा पुराना है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में रोजाना सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस फैसले के पीछे की संवेदनशीलत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की पीएम मोदी भी अपने मंत्रियों से अपील कर चुके हैं कि इसको लेकर गैर जरूरी बयानबाजी न करें। वहीं राज्य सरकारें भी कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने में जुटी हुई हैं।

 

सबरीमला मंदिर मामला –

17 तारीख से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत के दक्षिण भारतीय राज्य केरल स्थित सबरीमला अय्यपा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर भी अपना आखिरी फैसला सुनाए जाने की संभावना है। इस मामले में पहले सर्वोच्च अदालत ने सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई में जस्टिस आर फली नरीमन, जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने 28 सितंबर, 2018 को अपने फैसले में 4-1 के बहुमत से सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश का हक दिया था।

 

हालांकि इस फैसले की समीक्षा के लिए कई संस्थाओं और समूहों ने याचिकाएं दायर कीं। फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने वालों में नायर सर्विस सोसायटी और मंदिर के तंत्री भी शामिल हैं। करीब 60 पुनर्विचार याचिकाएं फिर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं। सबरीमला में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर भारत में काफी लंबी-चौड़ी बहस हुई है। मासिक धर्म से गुजरने वाली महिलाओं को मंदिर में न जाने दिए जाने को महिलावादी और प्रगतिशील संगठनों ने महिलाओं के मूलभूत अधिकारों का हनन बताया है।

 

वहीं धार्मिक संगठनों की दलील है कि चूंकि अयप्पा ब्रह्मचारी माने जाते हैं, इसलिए 10-50 वर्ष की महिलाओं को उनके मंदिर में जाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली बेंच ने 6 फरवरी, 2019 को इन सभी याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस बेंच की अगुवाई भी जस्टिस रंजन गोगोई ने की है, ऐसे में इस मामले में भी 17 तारीख से पहले फैसला आने की उम्मीद है।

 

राफेल विवाद –

लोकसभा चुनाव से राफेल मुद्दे पर कांग्रेस को उस समय बड़ा झटका लगा था जब 14 दिसंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इस डील में कथित घोटाले के आरोपों पर मोदी सरकार को क्लीनचिट दे दी थी। लेकिन इसके बाद इस पर भी कई पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई थीं। पहली संशोधन याचिका केंद्र सरकार द्वारा दाखिल की गई जिसमें कहा गया है कि कोर्ट के फैसले में ‘CAG रिपोर्ट संसद के सामने रखी गई’ की टिप्पणी को ठीक करें। इसके अलावे प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल कर अदालत से राफेल मामले पर आदेश की समीक्षा करने के लिए कहा है, जिसमें कहा गया कि सरकार ने राफेल जेट का अधिग्रहण करने के लिए निर्णय लेने की सही प्रक्रिया का पालन किया है।

 

इस पर फैसला भी 17 नवंबर से पहले आ सकता है क्योंकि इस मामले की जो पीठ सुनवाई कर रही है उसकी अगुवाई भी CJI Ranjan Gogoi ही कर रहे हैं। इस बेंच में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ भी हैं। Rafale Deal से जुड़े इस मामले में 10 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 

मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय  RTI के दायरे में आते हैं या नहीं? –

सूचना अधिकार कार्यकर्ता कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने CJI Office को RTI के दायरे में लाने के लिए याचिका दायर की थी। सुभाष चंद्र अग्रवाल का पक्ष रखने वाले वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि अदालत में सही लोगों की नियुक्ति के लिए जानकारियां सार्वजनिक करना सबसे अच्छा तरीका है। सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति और ट्रांसफर की प्रक्रिया रहस्यमय होती है। इसके बारे सिर्फ मुट्ठी भर लोगों को ही पता होता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में पारदर्शिता की जरूरत पर जोर दिया है लेकिन जब अपने यहां पारदर्शिता की बात आती है तो अदालत का रवैया बहुत सकारात्मक नहीं रहता।

 

भारतीय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय सूचना के अधिकार के दायरे में आता है या नहीं, इससे जुड़े मामले की सुनवाई भी CJI Ranjan Gogoi की अगुवाई वाली बेंच ने ही किया है, जिसमें जस्टिस एनवी रामन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं। ऐसे में इस मामले पर फैसला आने की पुरी संभावना है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश सूचना के अधिकार के दायरे में आते हैं या नहीं।

 

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Tags: Ayodhya VerdictRafale dealRafale VerdictRanjan GogoiRTISabarimalaSabarimala VerdictSupreme CourtSupreme court verdict
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