नागरिकता कानून के विरोध में रोज रोज हो रहे सड़क जाम, प्रदर्शन और हिंसक घटनाओं के चलते सड़कों को बंद करने से हो रहे परेशानी से अब लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा है। रविवार को दिल्ली के सरिता विहार इलाके में भारी संख्या में जमा होकर लोगों ने नोएडा को दिल्ली से जोड़ने वाली कांलिदी कुंज रोड को जाम से मुक्त कराने के लिए पदयात्रा निकाली और सड़कों पर सामान्य आवाजाही शुरू करने की मांग उठाई।
Delhi: Protest held in Sarita Vihar demanding removal of barricades and blockage on road no. 13A between Mathura Road and Kalindi Kunj, in order to ease traffic movement. The road is closed for past many days due to ongoing anti CAA/NRC demonstration in Shaheen Bagh. pic.twitter.com/x1RKS1mfp6
— ANI (@ANI) January 12, 2020
इस पदयात्रा में सरिता विहार और स्थानीय लोग भी भारी तदाद में शामिल हैं। लोगों का कहना है कि CAA के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन से 25 दिनों से जाम के चलते इस रोड को बंद कर दिया गया है। पुलिस ने रास्ते पर बैरिकेट्स लगा दिए हैं, ऐसे में दूसरे रास्ते से होकर लोगों को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम जाना पड़ रहा है, इसके चलते काफी समय लग रहा है, लोग देर से ऑफिस पहुंच रहे हैं, बच्चों ने स्कूल तक जाना छोड़ दिया है। प्रदर्शन में आए लोगों की मांग है कि मथुरा रोड और कालिंदी कुंज को जोड़ने वाली सड़क 13ए से बैरीकेडिंग हटा कर उसे वापस खोला जाए।
ज्ञात हो कि नागरिकता कानून के विरोध में शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन के मद्देनजर नोएडा को दिल्ली से जोड़ने वाली कांलिदी मार्ग को पिछले कई दिनों से बंद कर दिया गया है। पुलिस को ऐसी आशंका है शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन के चलते यहां पर माहौल खराब भी हो सकता है, यही वजह है कि पुलिस ने कांलिदी कुंज रोड को बंद कर रखा है। इससे लोगों को नोएडा-दिल्ली आने जाने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पदयात्रियों को कहना है कि यदि रोड को नहीं खोला गया तो वे लोग मथुरा रोड को भी जाम करेंगे।
जिसकी आशंका थी, वही होना अब शुरू हो गया है। रोज रोज के डुग्गी ड्रामे, प्रदर्शन, सड़क जाम और हिंसा के खिलाफ लोगों ने आवाज उठाना शुरू कर दिया है। प्रदर्शनकारियों को समझना पड़ेगा की उन्हें प्रदर्शन करने का संवैधानिक अधिकार तो है, लेकिन आम लोगों के सामान्य जनजीवन को बंधक बनाने का अधिकार नहीं है। अगर अब भी प्रदर्शनकारीयों ने आम लोगों को परेशान करना और उनके सामान्य जनजीवन को प्रभावित करना नहीं छोड़ा तो एक दिन फिर लोग इनके खिलाफ खड़े जरुर होंगे और सड़कों पर क्लेश की स्थिति देखने को मिलेगी।
प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है, लेकिन आपका अधिकार और आजादी वहीँ तक है, जहाँ तक दुसरे लोगों के जनजीवन प्रभावित नहीं होते हैं। एक की आजादी दुसरे की आजादी को ख़त्म नहीं कर सकता। प्रशासन को भी चाहिए की प्रदर्शनकारियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करे ताकि प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन करने का अधिकार भी प्रभावित न हो और आम लोगों का जीवन भी प्रभावित न हो। एक के तुष्टिकरण या हिंसा फैलने के डर से दूसरों के जनजीवन को बंधक नहीं बनाया जा सकता।