भारतीय राजनीति में अभूतपूर्व उत्थान की मिसाल देखें तो दो नाम सामने आते हैं लालू जी और Arvind Kejriwal जी! पर अगर अभूतपूर्व रूप से नकाब उतरने की मिसाल देखें तो कोई भी अरविन्द केजरीवाल के सामने नहीं टिकता है! लोकपाल, ईमानदारी और बदलाव की राजनीति से होते होते हुए उनका स्तर अब सिर्फ थप्पड़, सयाही, मिर्ची, इल्जाम, मुसलमान, इसाई, अग्रवाल, गुप्ता और बनियाँ तक ही रह गया है! ये देखिये उनके दिन प्रति दिन गिरते स्तर का एक नमूना :
जब केजरीवाल ने अन्ना हजारे के साथ मिलकर जन लोकपाल आन्दोलन की शुरुआत की थी, तब केजरीवाल ने कहा था की वो राजनीति में नहीं आएंगे! तब देश देश भ्रष्टाचार से त्रस्त था! युवा एक आशा भारी नजरों से उस आन्दोलन की तरफ देख रहा था! कुछ अच्छा होने की उम्मीद कर रहा था! लेकिन केजरीवाल के दिल में तब भी चोर था! आन्दोलन को हाइजैक करके राजनीति में घुस गए! जनलोकपाल तो सिर्फ बहाना था, असल मकसद तो सत्ता पाना था! अन्ततोगत्वा वो राजनीति में प्रवेश कर गए, कुछ नए वादों और नारों के साथ!
भाजपा ने दिल्ली के कुल 8 लाख बनिए वोटरो में से 4 लाख के नाम क्यों कटवाए, जवाब दीजिए .@VijayGoelBJP
भाजपा की नोटबंदी GST जैसी ग़लत नीतियों की वजह से व्यापारियों के धंधे चौपट हो गए। इसलिए बनिए इस बार भाजपा को वोट नहीं दे रहे। तो क्या इसका मतलब आप उनके वोट कटवा दोगे? ऐसे जीतोगे? https://t.co/DT32jsINFS
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 8, 2018
जब राजनीति में प्रवेश किया तब कहा था की हम राजनीति बदलने आये हैं! Gutter Politics को साफ़ करने आये हैं! हम ईमानदारी की राजनीति करने आये हैं! बेटे की कसम भी खायी थी की न कांग्रेस से समर्थन लेंगे, न कांग्रेस को समर्थन देंगे! लेकिनं सबने देखा की फिर क्या हुआ! कसमों और वादों को भूलकर कांग्रेस के समर्थन से सरकार भी बना ली! और ईमानदारी गयी धनियाँ लेने सो अलग! वेबसाइट से चंदे की डिटेल्स तक हटा दी!
बात यहीं तक रह जाती तो ज्यादा बड़ी बात नहीं थी, क्योंकि इतना तो सभी नेता और पार्टियाँ कर ही रही है, इन्होने किया तो क्या गजब हो गया! हद तो तब हो गयी जब आम आदमी की पार्टी और आम आदमी की सरकार बोलकर, आन्दोलन के दिनों के सभी आम आदमी को पार्टी से बाहर ठिकाने लगा दिया और पार्टी पर एकछत्र कब्ज़ा जमा लिया, बाकि सभी क्षेत्रीय दलों और क्षत्रपों की तरह! यहाँ से शुरू हुआ आम आदमी पार्टी का केजरीवाल आदमी पार्टी में रूपांतरण!
रूपांतरण के बाद शुरू हुआ गटर साफ़ करने आये केजरीवाल का गटर में डूबकी लगाकर आनंद लेने का खेल! फिर तो इन्होने सभी पुरानी पार्टियों को भी पीछे छोड़ दिया, और लोटपोट कर गटर को पूरा हिंकोड़ दिया! लपड़ थप्पड़ से लेकर सचिव की पिटाई और मिर्ची तक! मुसलमान से लेकर अग्रवाल, गुप्ता और बनियाँ तक! टिकट की धांधली से लेकर चंदे का धंधा, सत्येन्द्र मॉडल, राम बाबु मॉडल और गुप्त दुबई यात्रा तक! और JNU वाले अलगावाद से लेकर खालिस्तान तक! कोई भी ऐसा गटर नहीं छोड़ा जहाँ इन्होंने डूबकी न लगाई हो!
भाजपा बनियों का चंदा वापस करे : आम आदमी पार्टी#AAP #BJP #Delhihttps://t.co/TUlQjK0pn2
— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) December 5, 2018
ये सच है की राजनीति में केजरीवाल का उत्थान एक अभूतपूर्व घटना थी! और इसकी चर्चा लम्बे समय तक होती रहेगी! लेकिन जब चर्चा होगी की केजरीवाल ने भारतीय राजनीति को क्या दिया तो जवाब होगा ” सिर्फ धोखा”! उन्होंने ऐसा धोखा दिया है युवाओं और हर उस आम आदमी को जिन्होंने एक अच्छे बदलाव की उम्मीद में जनलोकपाल आन्दोलन को समर्थन दिया था, की शायद दशकों तक कोई किसी भी आन्दोलन पर भरोसा नहीं करेगा!
आम आदमी पार्टी के नेता और कवि कुमार विश्वास ने भी इन्हीं सब बातों से आहत होकर ये कविता लिखी है!
प्रतिमाओं में पूजा उलझी, विधियों में उलझा भक्ति योग!
सच्चे मन से षड्यंत्र रचे, झूठे मन से सच के प्रयोग!
जो प्रश्नों से ढह जाए वो, किरदार बना कर क्या पाया?
जो शिलालेख बनता उसको, अख़बार बना कर क्या पाया!