JNU हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस को नकाबपोश हमलावरों की पहचान करने में बड़ी सफलता मिली है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में छात्रों पर हमला करने वाले नकाबपोश हमलावरों की पहचान दिल्ली पुलिस ने कर ली है। JNU कैंपस में नकाबपोश हमलावरों द्वारा स्टूडेंट्स पर हमले की घटना के चार दिन बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने प्राइमरी जाँच के आज प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि उसने इस हमले के संबंध में कुछ संदिग्धों की पहचान की है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने दो व्हाट्सएप समूहों के कम से कम 70 एडमिन की पहचान की है, जिन समूहों में कथित तौर पर जेएनयू छात्र पर हमले की योजना बनाई गई थी। पुलिस के अनुसार, वे हमला करने वालों की पहचान करने के बहुत करीब है और कुछ संदिग्धों की पहचान कर ली गई है। पुलिस ने अब तक विश्वविद्यालय के 100 से अधिक लोगों से बात की है, जिनमें छात्र, शिक्षक, वार्डन और गवाह शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस ने आज प्रेसवार्ता कर जेएनयू हिंसा में अबतक हुई जांच की घटनावार जानकारी दी है। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के डीसीपी जाय टिर्की और दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एमएस रंधावा ने कहा कि वाट्सएप ग्रुप से हिंसा की साजिश रची गई थी। दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे में कैद संदिग्धों की तस्वीरें जारी की हैं। इसके बाद जेएनयू हिंसा की जांच कर रहे दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के डॉ. जॉय टिर्की ने कहा कि अब तक तीन मामले दर्ज किए गए हैं, पहला केस- सर्वर को नुकसान पहुंचाने का, दूसरा केस- रजिस्ट्रेशन समर्थकों से मारपीट करने का और तीसरा केस- हॉस्टल में घुसकर मारपीट करने का दर्ज किया गया है।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि हमलावरों को दोनों हॉस्टलों की पूरी जानकारी थी, इसलिए उन्होंने छात्रों को मारपीट कर घायल कर दिया। इसके बाद सभी घायकों को अस्पलात में भर्ती कराया गया। दिल्ली पुलिस PRO एमएस रंधावा ने कहा कि जेएनयू हिंसा से संबंधित आपराधिक मामलों की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है, लेकिन यह पाया गया है कि इन मामलों से संबंधित काफी गलत सूचना फैलाई जा रही है। दिल्ली पुलिस ने हमलावरों की तस्वीर जारी की है, इसमें लेफ्ट विंग के जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत 9 हमलावर हैं। तस्वीर में आरोपियों के नाम भी हैं, जिन लोगों की पहचान की गई उनमें चुनचुन कुमार, पंकज मिश्रा, आयेशी घोष (जेएनयूएसयू अध्यक्ष), वास्कर विजय, सुचेता तालुकराज, प्रिया रंजन, डोलन सावंत, योगेंद्र भारद्वाज, विकास पटेल शामिल हैं।
Dr Joy Tirkey, DCP/Crime: Those identified include- Chunchun Kumar, Pankaj Mishra, Aishe Ghosh (JNUSU President elect), Waskar Vijay, Sucheta Talukraj, Priya Ranjan, Dolan Sawant, Yogendra Bhardwaj, Vikas Patel #JNUViolence https://t.co/FUzuYeMNwE
— ANI (@ANI) January 10, 2020
उन्होंने कहा कि जेएनयू प्रशासन ने 1-5 जनवरी तक छात्रों के ऑनलाइन पंजीकरण करने का फैसला किया था। डीसीपी जाय टिर्की ने कहा कि लेफ्ट के 4 छात्र संगठन रजिस्टेशन के खिलाफ थे, जिसमें स्टूडेंट्स फ्रंट ऑफ इंडिया (SFI), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) इसके खिलाफ थे।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि 3 जनवरी को विरोध शुरू हुआ था। लेफ्ट के छात्रों ने 3 जनवरी को सर्वर से छेड़छाड़ की थी, जिससे वह बंद हो गया। 4 जनवरी को फिर से सर्वर को नुकसान पहुंचाया गया था। 5 जनवरी को सुबह 11.30 बजे से रजिस्ट्रेशन के समर्थकों से मारपीट शुरू हुई थी। इसके बाद विवाद लगातार बढ़ता गया और फिर शाम 3.45 बजे परियार हॉस्टल और साबरमती हॉस्टल में लेफ्ट के छात्रों ने छात्रों पर अटैक किया, उन्होंने चुन-चुनकर छात्रों को मारापीटा।
जॉय टिर्की ने कहा कि जेएनयू में हिंसा करने को व्हाट्सऐप ग्रुप भी बनाए गए। नकाबपोश जानते थे कि उनको किस-किस कमरे में जाना है। हिंसा के सीसीटीवी फुटेज नहीं मिले हैं। हालांकि, हमने वायरल वीडियो के जरिए आरोपियों की पहचान की है। इसको लेकर हमने 30-32 गवाहों से भी बातचीत की है। डॉ जॉय टिर्की ने कहा कि अब तक किसी भी संदिग्ध को हिरासत में नहीं लिया गया है, लेकिन हम जल्द ही संदिग्धों से पूछताछ शुरू करेंगे।
अब अगर हम इन सब घटनाओं पर नजर डालेंगे तो लेफ्ट संगठनों का JNU हिंसा पर प्रदर्शन करना और ABVP पर आरोप लगाना ठीक ऐसा लगता है, जैसे चोरी भी और सीनाजोरी भी। रही बात उस सवाल का, की अगर लेफ्ट के लोगों ने आक्रमण किया है, तो लेफ्ट के लोग भी कैसे घायल हो गए? तो यजब झगड़ा होता है तो चोटें दोनों लगना स्वाभाविक ही है, किसी से मारपीट करने जाओगे तो वो फूल से तो स्वागत करेगा नहीं। और नकाब से पर्दा उठने के बाद पुलिस पर वामपंथी संगठनों के आरोप उल्टा चोर कोतवाल को डांटे से ज्यादा कुछ नहीं लगता। मतलब अपने गुनाह पर पर्दा डालने के लिए प्रदर्शन का दवाब बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं वामपंथी।