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Home विचार

दिवाली के पटाखों से ज्यादा तो दिवाली के नाम से दिल्ली में प्रदुषण का स्तर बढ़ जाता है

by Bhaiyyaji
July 30, 2022
in विचार

छायाचित्र सूत्र: इन्टरनेट!

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दिल्ली तो पूरे साल प्रदूषित रहता है, दिवाली को सिर्फ बलि का बकरा बनाया जाता है, नाकामियों को छुपाने के लिए! अगर दिवाली के बाद प्रदुषण बढ़े तब तो दिवाली को जिम्मेदार मानेंगे, लेकिन दिवाली के पहले ही प्रदुषण बढ़ रहा है तो दिवाली को दोष क्यों दिया जा रहा है ये समझ से परे है! दिवाली के एक महीने पहले से ही सभी मीडिया चैनल की ये रिपोर्ट्स देखकर थोड़ा अजीब लगा की दीवाली के पहले दिल्ली का प्रदुषण स्तर बढ़ा! बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों और स्वघोषित पर्यावरण प्रेमियों में भी इस बात को लेकर खासा चिंता देखा गया की दिवाली आने वाली है इसलिए दिल्ली का प्रदुषण स्तर बढ़ने लगा है! अब जरा सोचिए की अगर दिल्ली का प्रदुषण स्तर बढ़ रहा है तो इससे दिवाली का क्या लेना देना था जो तब आई नहीं, आने वाली थी? तो क्या सिर्फ दिवाली के नाम से ही प्रदुषण बढ़ जाता है?

 

ये कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की स्क्रीनशॉट है जिसमे दिवाली को प्रदुषण से जोड़ने का प्रोपगंडा चलाया जा रहा है! जिसमे ये बताने का झूठा प्रयास किया जा रहा है की दिवाली ही वो एकमात्र कारण है जिसकी वजह से दिल्ली में प्रदुषण है, दिवाली मानवता के लिए इतना खतरनाक है की इसके आने के पहले ही प्रदुषण शुरू हो जाता है! जबकि हकीकत में मानवता के असली दुश्मन तो ऐसे मीडिया घराने हैं जो ऐसे प्रोपगंडा चलाते हैं जिसकी वजह से प्रदुषण का असली जड़ भी सुरक्षित रह जाता है और इसके जिम्मेदार लोग और संस्थाएं भी कठघरे में खड़े होने से भी बच जाते हैं!

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इसमे कोई शक नहीं की दिल्ली का प्रदुषण स्तर अलार्मिंग है और कोई भी नहीं चाहेगा की प्रदुषण के कारण लोग बीमार पड़ें और उनके जान पर बन आए! लेकिन क्या प्रदुषण सिर्फ दिवाली के आहट से ही बढ़ जाता है या पूरे साल दिल्ली प्रदूषित रहता है? और ऐसे लोगों और मीडिया की सोच पर क्या कहेंगे जो पूरे साल तो गहरी नींद में सोते रहते हैं, उन्हें थोड़ी भी फ़िक्र नहीं दिल्ली के प्रदुषण पर, लोगों के स्वास्थ्य पर, प्रदुषण से हो रही बिमारियों पर, बस उनकी तब खुलती है जब दिवाली के पटाखों से, वो भी उसके फूटने से पहले ही!

 

पहली बात तो पटाखों से न सिर्फ वायु प्रदुषण होता है, ध्वनि प्रदुषण भी होता है, जो न स्वास्थ्य के लिए ठीक है और मानसिक शांति के लिए! और पटाखे तो सिर्फ उत्साह में फोड़े जाते हैं, इसका दिवाली से कोई वास्तविक रिश्ता नहीं है, दिवाली तो असल में दीपों का त्यौहार है, इसलिए हम पटाखे फोड़ने को प्रोत्साहित भी नहीं करना चाहते! हम तो Green Crackres, हो या रेड और  येलो हो, किसी भी प्रकार के पटाखों के पक्ष में नहीं हैं! लेकिन सवाल है की क्या सिर्फ दिवाली के पटाखे से प्रदुषण होता है या फर्स्ट जनवरी और बाकि दिनों के पटाखों से भी प्रदुषण होता है? अगर सभी तरह के पटाखों से प्रदुषण फैलता है तो पटाखे हमेसा के लिए बैन क्यों नहीं कर देते, सिर्फ दिवाली में ही क्यों?

दूसरी बात की दिल्ली में प्रदुषण तो पूरे साल रहता है, लोग प्रदूषित हवा में साँस लेने को मजबूर हैं! बीमारियाँ बढ़ रही है! लोगों को शुद्ध हवा तक नहीं मिल रहा है दिल्ली में, लेकिन किसी को भी इसकी फ़िक्र नहीं, न सरकार को, न मीडिया को, न समाजसेवियों को और न ही पर्यावरण प्रेमियों को! सरकार तो दिवाली के बहाने अपना पल्ला झाड़ लेती है तो मीडिया और ये सब सेवी और प्रेमी लोग भी Fake Diwali Pollution प्रोपगंडा चलाकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरा हुआ समझ लेते हैं! क्या एक दिवाली के दिन का प्रदुषण पूरे साल दिल्ली को प्रदूषित रखता है?

 

जरुरत है की खतरनाक स्तर तक पहुँच चुके प्रदुषण से कारगर वैज्ञानिक उपायों, तकनीक सहायता और प्रभावी कदमों से निपटने का प्रयास किया जाए, बजाय सिर्फ दिवाली को कोसने के! सिर्फ दिवाली को कोसने से न दिल्ली प्रदुषण मुक्त होगा, न दिल्ली की हवा शुद्ध होगी और लोगों की बीमारियाँ ठीक होगी! दिवाली को बलि का बकरा बनाकर, Diwali Pollution चिल्लाकर अपनी अपनी जिम्मेदारियों से भागने का खेल अब बंद होना चाहिए! प्रदुषण मुक्त दिल्ली और शुद्ध हवा लोगों का हक़ है और लोगों को मिलना ही चाहिए!

Tags: Diwali Pollutionfake diwali pollutiongreen crackers
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