भाजपा अध्यक्ष अमित शाह केरल में भाजपा कार्यालय का उद्घटान करने पहुंचे थे! शाह ने केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल की बच्चियों से लेकर 50 साल की महिलाओं को प्रवेश नहीं देने को लेकर जारी विवाद पर परोक्ष रूप से Save Sabarimala आन्दोलन को अपना समर्थन दिया! उन्होंने कहा, ‘राज्य में भाजपा और आरएसएस के 2000 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है! केरल की कम्युनिस्ट सरकार कान खोलकर सुने ले, जिस तरह भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं पर दमन का कुचक्र चला रहे हो, भाजपा पूरे देश के आस्थावान भक्तों के साथ चट्टान की तरह खड़ी रहेगी! अदालती फैसले के नाम पर कुछ लोग हिंसा भड़काना चाहते हैं, हम उन्हें कहना चाहते हैं कि देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जिनके अपने अलग नियम हैं!’
Amit Shah ने कहा, ‘मित्रो! हिंदू धर्म के अंदर हमेशा माताओं को पूजनीय माना गया है! हम नवरात्र, दशहरा पर कन्या का पूजन करते हैं, किसी भी धार्मिक परंपरा में पत्नी को साथ में बैठाते हैं! हिंदू धर्म में कभी स्त्रियों का अपमान नहीं किया जाता, उन्हें माता और देवी मानकर उन्हें पूजने का ही काम किया जाता है! हाल ही के एक विवाद में संविधान के अनुच्छेद 14 का हवाला दिया गया, लेकिन अनुच्छेद 25 और 26 में मेरे धर्म के अनुसार जीने का भी मुझे अधिकार है, एक मौलिक अधिकार, दूसरे अधिकार पर कैसे अतिक्रमण कर सकता है?’
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में अपने एक फैसले में सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने और पूजा करने की इजाजत दी थी! पहले यहां 10 साल की बच्चियों से लेकर 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी! भगवान अयप्पा के इस मंदिर में यह प्रथा 800 साल से चली आ रही थी! सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर महिलाओं पर लगी पाबंदी को चुनौती दी गई थी! केरल सरकार मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में थी! पिछले दिनों मासिक पूजा के लिए मंदिर के द्वार खोले गए लेकिन स्थानीय श्रद्धालुओं के विरोध के कारण एक भी महिला केरल की वामपंथी सरकार और पुलिस सुरक्षा के बावजूद मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकी!
हालाँकि अमित शाह के इस बयान से केरल के मुख्यमंत्री Pinarayi Vijayan को तीखी मिर्ची लग गई है! उन्होंने ने कहा की सबरीमाला पर अमित शाह का बयान संविधान और कानून के खिलाफ है! यह भाजपा और संघ के एजेंडे को स्पष्ट करता है! शाह केरल सरकार को गिराने की धमकी दे रहे हैं! लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि यह सरकार भाजपा की कृपा से नहीं बनी, बल्कि लोगों के जनादेश से बनी है!
हालाँकि वो ये भूल रहे हैं की वो जो कर रहे हैं उसे जन भावना का दमन कहते हैं, जनादेश नहीं! उनकी सरकार के अथक प्रयास के बावजूद स्थानीय श्रधालुओं ने उन किसी भी महिलाओं, जिनका नाम रेहाना, मेरी और न जाने क्या क्या है, जिनकी आस्था मंदिर या भगवान अयप्पा में नहीं है उनका मकसद सिर्फ पुराने परंपरा को तोड़ना और हिन्दुओं के आस्था को ठोकर मारना है, को मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया! और इसके लिए किसी भी श्रद्धालु ने कोई भी अलोकतांत्रिक कदम नहीं उठाया है, पूरी तरह से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध जताया है, जो उनका लोकतांत्रिक हक़ है! बावजूद इसके की श्रद्धालुओं की बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारी की जा रही है, उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, जिसे कहीं से भी लोकतांत्रिक तो नहीं कहा जा सकता है! ऐसे विजयन को लोकतंत्र और जनादेश की दुहाई देना हास्यास्पद है!
हैरानी तो इस बात पर है की जिन्हें तीन तलाक और हलाला जैसे घोर महिला विरोधी कुरीतियों जिससे लोगों को व्यक्तिगत कष्ट हो रहा था, उस पर भी निर्णय लेने से पहले ये पता लगाने में सालों बर्बाद करते हैं की इस्लाम इसकी इजाजत देता है की नहीं! वही संस्था, लोग और संगठन धार्मिक आजादी के मौलिक अधिकार का उलंघन कर के हिन्दू धर्म के ऐसे सामान्य परम्परा जिससे किसी को व्यक्तिगत नुकसान नही हो रहा हो, उसमें भी धड़ल्ले से बिना कुछ सोचे, बिना लोगों की भावनाओं की परवाह किए फैसला सुना देते हैं! जैसे हिन्दुओं के रीती रिवाजों और परंपराओं में छेड़छाड़ करना उनका मौलिक अधिकार हो!