बसपा प्रमुख मायावती ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस पार्टी को समर्थन करने की बात कही है! उन्होंने कहा कि बीजेपी की नीतियों से जनता दुखी थी! जनता ने कांग्रेस पार्टी को ही मजबूत समझा और वोट दिया है! कांग्रेस पार्टी ने इसका पूरा फायदा उठाया है और कांग्रेस पार्टी को 2019 के चुनाव में भी इसका फायदा मिलेगा! कांग्रेस ने बीजेपी से कड़ा संघर्ष किया है! हमारी पार्टी ने भी कड़ा संघर्ष किया है!
Mayawati ने कहा की “ज्यादा सीट जिताने में हमारे लोग सफल नहीं हुए है! जिन्होंने हमें वोट दिया है मैं उनका आभार प्रकट करती हूं! कांग्रेस पार्टी के राज्य में ही काफी उपेक्षा होती रही है बीजेपी में भी यह बंद नहीं हुआ है! ऐसे में कभी भी इन वर्गों का विकास नहीं हो सकता है! आजादी के बाद भी हमें ज्यादा फायदा नहीं हुआ तभी बसपा का निर्माण हुआ था!” इन सब बहाने वाली छुआछुत की बातों से एक बात तो तय हो गयी है की वोट चाहे किसी को दो, अंततोगत्वा जाएगा कांग्रेस को ही!
लेकिन Mayawati ने ये नहीं बताया की जब कांग्रेस के राज में भी दलितों का उत्पीड़न हुआ और भाजपा के राज में भी दलितों का उत्पीड़न हुआ तो फिर मायावती जी फिर किस आधार पर कांग्रेस को समर्थन दे रही है? और न चाहते हुए भी आखिर कौन सी मज़बूरी है जो कांग्रेस को समर्थन देने को मजबूर कर रहा है! क्या अल्पसंख्यक वोट बैंक की राजनीति? फिर दलितों के संघर्ष का क्या होगा?
बहुजन समाज पार्टी की स्थापना अगर छुआ छूत और दलित उत्पीड़न के खिलाफ हुआ है और कांग्रेस के राज से ही दलितों का उत्पीड़न होता आया है फिर कांग्रेस को समर्थन क्यों और बीजेपी से छुआ छूत क्यों? क्या अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के लिए छुआ छूत के खिलाफ संघर्ष की तिलांजलि दे दिया गया है! क्या छुआ छूत के खिलाफ शुरू हुई पार्टी खुद छुआछुत में संलिप्त हो गयी है?
एक तरफ तो Mayawati कहती है की लोगों ने दिल पर पत्थर रखकर कांग्रेस को वोट किया है! दूसरी तरफ ये नहीं बताती की उन्होंने क्या रखकर कांग्रेस को समर्थन दिया! पार्टी उनकी है, वो किसी को भी समर्थन देने के लिए स्वतंत्र है लेकिन फिर इतने बड़े बोल नहीं बोलना चाहिए! दलितों की लड़ाई की बात नहीं करनी चाहिए! सीधी सी बात दांव पेंच और मौकापरस्ती की राजनीति है, दलितों के उत्थान, छुआछुत के खिलाफ संघर्ष और सिद्धांतों की लड़ाई बेमानी और अपने दांवपेंच को ढंकने का एक जरिया मात्र है!