मंगलमय यह देश कहां मिलने वाला
शुचि , दान ,धर्म-सत्कर्म सार का , श्रेय लिए जीवन स्तम्भ ; क्षमा, दया, धृति ,त्याग ज्ञेय , निष्कंटक ! ...
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