भाई भाई को लूटे, सर्वत्र विघटन के पांव, बन्धुवर अब तो आ जा गांव!
बन्धुवर अब तो आ जा गांव! खोद रहे नित रेत माफिया नदिया की सब रेती चर डाले हरियाली सारी ...
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